इस वर्ष 15 अप्रैल को रामनवमी है। भगवान राम का जन्म दोपहर 12.00 बजे अभिजीत मुहूर्त में हुआ था। श्रीराम कृपा प्राप्त करने के लिए उनका केवल जप ही काफी है, फिर भी जरूरी मंत्र आवश्यकतानुसार दिए जा रहे हैं।
भगवान राम दरबार का चित्र व तुलसी की माला व कम्बल का आसन पूर्वाभिमुख हो। यथाशक्ति पूजन, नैवेद्यादि कर जप करना चाहिए। यथाशक्ति जप करने के पश्चात एक माला हवन उपलब्ध साधनों से कर लें। मंत्र सिद्ध हो जाएगा तथा नित्य एक माला जपें।
(1) ‘श्रीराम जय राम, जय-जय राम’ यह मंत्र कभी भी जपा जा सकता है। शुचि-अशुचि का ध्यान रखना भी आवश्यक नहीं है। सुख-शांति, समृद्धि तथा मोक्ष तक देने वाला है।
(2) ‘राम’ नाम अपने आप में गंगा की तरह पवित्र है। असाध्य रोग, संकटों से पार लगाने वाला तथा मोक्ष देने वाला माना गया है।
(3) शीघ्र विवाह के लिए– कन्या के विवाह में बाधा दूर करने के लिए पिता निम्न मंत्र का जप करें। प्रथम उपरोक्त मंत्रों में से किसी एक की 1 माला करें।
‘बिस्व भरण पोषण कर जोईृ।
ताकर नाम भरत अस होई।।
गई बहोर गरीब ने वाजू।
सरल सबल साहिब रघुराजु।।’
‘दीनदयालु बिरद सम्भारि।
हरहु नाथ मम संकट भारी।।
मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रवऊ सुदशरथ अजिर बिहारी।।’
‘सुन सिय सत्य असीस हमारी,
पूजहिं मन कामना तुम्हारी।’
‘मुद मंगलमय संत समाजू,
जिनि जग जंगम तीरथ राजू।’
उपरोक्त मंत्र रामचरित मानस के हैं। जिन्हे चौपाई भी कहा जाता है। यह स्वयंसिद्ध हैं। यदि साथ में हनुमान चालीसा, बजरंग बाण तथा श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ पहले कर लिया जाए तो प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
उपरोक्त मंत्र नवरात्रि में भी सिद्ध कर नवमी को हवन किया जाकर सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। एकसाथ कई मंत्र भी किए जा सकते हैं।